********कर्ता के प्रति कृतज्ञता का भाव सनातन का पहला संस्कार : मुख्यमंत्री*
********राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 11वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि समारोह में बोले मुख्यमंत्री*
******सनातन और भारत के हित में हर मुद्दे पर आजीवन प्रतिबद्ध रहे गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय : सीएम योगी*
गोरखपुर, 11 सितंबर। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कर्ता के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना सनातन धर्म का पहला संस्कार है। भारतीय मनीषा के ज्ञान दर्शन में इस बात को प्रतिष्ठित किया गया है कि जीवन में हमारे प्रति, समाज और राष्ट्र के प्रति किसी ने योगदान दिया हो तो उसके प्रति कृतज्ञता का भाव होना ही चाहिए।
सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की11वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन गुरुवार (आश्विन कृष्ण चतुर्थी) को महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने रामायणकाल में हनुमानजी और मैनाक पर्वत के बीच हुए संवाद के मुख्य उद्धरण ‘कृते च कर्तव्यम एषः धर्म सनातनः’ को समझाते हुए कहा कि यह भाव सनातन से ही मिलता है। सनातन की परंपरा में पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करने के लिए आश्विन माह का पूरा कृष्ण पक्ष ही समर्पित किया गया है। गोरक्षपीठ में ब्रह्मलीन पूज्य महंतद्वय की पुण्य स्मृति में साप्ताहिक आयोजन भी कृतज्ञता ज्ञापन का ही आयाम है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का स्मरण करते हुए कहा कि महंतद्वय समाज, राष्ट्र और लोक जीवन से जुड़े हर मुद्दे पर सनातन धर्म और भारत के हितों के प्रति प्रतिबद्ध रहे। महंत दिग्विजयनाथ जी ने सनातन धर्म, शिक्षा, सेवा और राष्ट्रीयता के जिन मूल्यों और आदर्शों को स्थापित किया, उन्हें महंत अवेद्यनाथ जी ने आत्मसात कर आगे बढ़ाया। इन मूल्यों और आदर्शों के लिए, देश और धर्म के लिए महंतद्वय आजीवन समर्पित रहे। दोनों ने सदैव देश और धर्म को प्राथमिकता दी। गोरक्षपीठ आज भी उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर रहा है।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सशक्त राष्ट्र की आधारशिला माना महंतद्वय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभ्य समाज और सशक्त राष्ट्र की आधारशिला माना। महंत दिग्विजयनाथ जी ने इसी ध्येय से देश की गुलामी के कालखंड में ही 1932 में महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। 1932 में पहली संस्था खुली और फिर यह श्रृंखला बढ़ती गई। गोरखपुर में जब पहले विश्वविद्यालय की स्थापना की बात आई तो उन्होंने महाराणा प्रताप महाविद्यालय और महाराणा प्रताप महिला विद्यालय दान में देकर विश्वविद्यालय की स्थापना का शुभारंभ कराया। यह कार्य श्रेय के लिए नहीं था। उन्होंने महिला शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, आयुष शिक्षा सहित शिक्षा के हरेक क्षेत्र को आगे बढ़ाया। उनके बाद महंत अवेद्यनाथ जी ने भी इस सिलसिले को जारी रखा।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनाने में महंतद्वय का अविस्मरणीय योगदान
सीएम योगी ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय के अविस्मरणीय योगदान का भी उल्लेख किया। कहा कि श्रीराम मंदिर निर्माण के यज्ञ का शुभारंभ महंत दिग्विजयनाथ जी ने किया था। उनके बाद 1983 से लेकर जीवन पर्यंत महंत अवेद्यनाथ मंदिर निर्माण के लिए संघर्षरत रहे।
सामाजिक समरसता को आजीवन बढ़ाते रहे महंत अवेद्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी समाज को तोड़ने वाली ताकतों से चिंतित रहे। उन्होंने अश्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई और आजीवन सामाजिक समरसता को बढ़ाते रहे।
समाज के लिए समर्पित जीवन ही सफल महंत : बालकनाथ
श्रद्धांजलि सभा में बाबा मस्तनाथ पीठ रोहतक के महंत और राजस्थान विधानसभा के सदस्य बालकनाथ ने कहा कि जीवन वही सफल है जो समाज के लिए समर्पित रहे। जैसा जीवन पूज्य महंत दिग्विजयनाथ जी तथा पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी ने जिया है वैसा जीवन हमें भी जीना चाहिए। आज उन्ही महापुरुषों की देन है कि हम गर्व के साथ अपने हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में जी रहे हैं। काशी से पधारे श्रीविष्णु स्वामी संप्रदायाचार्य जगद्गुरु संतोषाचार्य सतुआ बाबा ने कहा कि हम बड़े भाग्यशाली है कि हम महंत दिग्विजयनाथ जी और महंत अवेद्यनाथ जी की तपस्थली पर हमें उपस्थित होकर उनके विचारों को जानने का सौभाग्य मिल रहा है। हमें उनके आदर्शों का अनुकरण करना चाहिए, यही उनके चरणों में हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
सदा सनातन का उच्च उद्घोष किया ब्रह्मलीन महंतद्वय ने : डॉ. महेंद्र सिंह
प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने कहा कि भारत देश ही ऐसा है जहां सतयुग से लेकर अब तक लाखों वर्ष बीत गए, लेकिन भारत में उस समय भी संत थे, आज भी संत हैं और आगे भी रहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति ही ऐसी है जहां परोपकार के लिए ही महापुरुषों का जीवन होता है। भारत का सनातन धर्म सत्य है। यह हमेशा से है और हमेशा रहेगा। गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय दिग्विजयनाथ जी और अवेद्यनाथ जी ने सदैव सनातन का ही उच्च उद्घोष किया।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि महान व्यक्ति इसीलिए महान होते हैं क्योंकि वे भौतिक शरीर से पूरा जीवन समाज के लिए कार्य करते हैं तथा गोलोकवासी होने के बाद भी देश को अपना आशीर्वाद देते रहते हैं। पूज्य महंत दिग्विजयनाथ जी तथा पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी ऐसे ही महापुरुष हैं। महंतद्वय समाज व राष्ट्र के लिए पूरा जीवन संघर्ष करते रहे।
चित्तौड़गढ के राजघराने से आए जनार्दन सिंह, हनुमानगढी अयोध्या से आए महंत राजूदास, नीमच मध्यप्रदेश के लालनाथ, कच्छ गुजरात के देवनाथ, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, एमएलसी एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, विधायक विपिन सिंह, महेंद्रपाल सिंह, प्रदीप शुक्ल, श्यामधनी राही, एमएलसी ध्रुव त्रिपाठी, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय, जिलाध्यक्ष जर्नादन तिवारी, महानगर संयोजक राजेश गुप्ता, आईएमए के डॉ. वाई सिंह, डॉ. आरपी त्रिपाठी, चैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज से एसके अग्रवाल, दवा विक्रेता समिति के योगेंद्र दूबे, गुरुद्वारा कमेटी से सरदार जगनैन सिंह नीटू, व्यापार मंडल से पूर्व महापौर सीताराम जायसवाल, सिंधी समाज के अर्जुन वलानी, पूर्वांचल उद्योग व्यापार मंडल के रमेश चंद्र गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता, हरिनंदन श्रीवास्तव ने भी ब्रह्मलीन महंतद्वय को अपने विचारों से श्रद्धांजलि दी।
सीएम योगी ने किया पुस्तक का विमोचन
इस अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राणि विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. दिनेश कुमार सिंह और प्रो. भारती सिंह की पुस्तक ‘नाथ पंथ का दर्शन एवं साधना प्रणाली’ का विमोचन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं मंचासीन अतिथिगण द्वारा किया गया। सरस्वती वंदना, श्रद्धांजलि गीत महाराण प्रताप बालिका इंटर कॉलेज रमदत्तपुर की छात्राओं ने, वैदिक मंगलाचरण डॉ. रंगनाथ त्रिपाठी, गोरक्षाष्टक पाठ आदित्य तिवारी एवं गौरव पांडेय तथा महंत अवेद्यनाथ स्तोत्रपाठ डॉ. प्रांगेश मिश्र ने प्रस्तुत किया जबकि संचालन डॉ. श्रीभगवान सिंह ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में संतजन, विभिन्न संगठनों के लोग और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

